इस IPS ने 69 बार आजम खान को किया गिरफ्तार, जिपं सदस्य के मर्डर केस को सुलझाया!
डॉ. बीपी अशोक को उत्तर प्रदेश पुलिस के एक प्रभावी अधिकारी के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता आजम खान को चार साल में 69 बार गिरफ्तार किया। उनके चार दशक के पुलिस करियर में उन्होंने कभी भी कानून व्यवस्था के साथ समझौता नहीं किया। इस वर्ष जनवरी में लखनऊ में फूड सेल के एसपी पद से रिटायर हुए, इनकी मेहनत और निष्ठा का उदाहरण बेहद स्पष्ट है। लखनऊ में जब भी कोई बड़ा प्रदर्शन होता, तो उनसे ही जिम्मेदारी ली जाती थी। पश्चिम उत्तर प्रदेश, विशेष रूप से मेरठ में, उन्होंने दो बार तैनाती के दौरान कई जघन्य अपराधों को सुलझाया। डॉ. अशोक का सपना हमेशा से वर्दीधारी अफसर बनने का था, जो उन्हें उनके पिता की पुलिस वर्दी ने प्रेरित किया।
डॉ. बीपी अशोक का जन्म 31 जनवरी 1956 को बुलंदशहर जिले के स्याना तहसील में हुआ। उनके पिता, डॉ. देवी सिंह, एक प्रतिष्ठित आईजी थे, और जब से उन्होंने अपने पिता को वर्दी में देखा, तभी से उनका ये सपना पंख लेने लगा। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद, डॉ. अशोक ने अलीगढ़ और बरेली में पढ़ाई जारी रखी और अंततः 1986 में अपने विश्वविद्यालय की पढ़ाई पूरी की। अपने पिता की प्रेरणा से वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगे। 1992 में पीपीएस के पद पर चयनित होने पर पूरे गांव में जश्न मनाया गया। उच्च शिक्षा के प्रति उनकी लगन ने उन्हें बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से डी लिट की उपाधि प्राप्त करने और लंदन के रायल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में भी अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया।
पुलिस सेवा में अपने लंबे करियर के दौरान, डॉ. अशोक ने कई जटिल केस सुलझाए। उन्होंने 22 वर्षों के सेवा के बाद 2014 में IPS का दर्जा पाया। डॉ. अशोक ने मेरठ में अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े मर्डर केस जैसे कि संजय गुर्जर की हत्या मामले में सक्रियता दिखाई। इस हाई प्रोफाइल मर्डर की जांच में उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर जांच की और कई शूटरों को गिरफ्तार किया। इस तरह के कई मामलों में उन्होंने कानून व्यवस्था को बनाए रखने के साथ-साथ समाज के भले के लिए भी कार्य किया।
डॉ. अशोक ने बताया कि 2001 में भारतीय किसान यूनियन द्वारा शुरू किए गए आंदोलन के दौरान उन्होंने किस तरह से किसानों को समझाने का प्रयास किया। इस दौरान उन्हें महेंद्र सिंह टिकैत का सामना करना पड़ा, जो जांच के चलते रामपुर में पहुंचे। पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की और अंततः उन्हें गिरफ्तार भी करना पड़ा। रामपुर में उनकी कार्य कुशलता ने सामुदायिक तनाव को कम करने में मदद की।
उनकी व्यक्तिगत जिंदगी भी अध्यात्म और प्रेम से भरी है। डॉ. बीपी अशोक की लव मैरिज 1989 में डॉ. मंजू से हुई, अब उनके बच्चे भी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहे हैं। उनकी बड़ी बेटी, डॉ. अवलोकिता, वर्तमान में आईआरएस अधिकारी हैं, जबकि उनकी अन्य संतानें अपनी पढ़ाई में व्यस्त हैं। डॉ. बीपी अशोक की कहानी न केवल उनके दृढ़ आत्मविश्वास का परिचायक है, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा भी है, जो उन्हें बताता है कि मेहनत और नैतिकता के साथ आगे बढ़ना सफलता की कुंजी है।