जयपुर के 1222 सफाईकर्मी: पगार निगम से, काम कहीं और! कितनी सफाई गलती है सिस्टम?
ग्रेटर निगम की सफाई व्यवस्था में अव्यवस्था की एक महत्वपूर्ण वजह यह सामने आई है कि 150 वार्डों में कार्यरत 3470 कर्मचारियों में से 621 लोग कभी-कभी ही अपने वार्ड में उपस्थित होते हैं। यह संख्याएँ निराशाजनक हैं, खासकर जब हम पर्यावरण की स्वच्छता और नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की दृष्टि से इसे देखते हैं। इनमें से 401 कर्मचारी ऐसे हैं जो अपने काम के वार्ड से दूर, आसपास के गांवों में रहते हैं, जबकि 220 कर्मचारी ऐसे स्थानों पर निवास करते हैं जो कि उनके ड्यूटी वार्ड से 10 से 15 किमी की दूरी पर हैं। इस दूरी के कारण यह कर्मचारी नियमित रूप से अपने वार्ड में नहीं पहुंच पाते हैं, इसके बावजूद रजिस्टर में उनकी उपस्थिति नियमित रूप से दर्ज की जाती है।
आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, सांगानेर और जगतपुरा जोन के चार कर्मचारी ऐसे पाए गए हैं जो कि अपने घरों में ही बैठे रहे, जबकि उनकी उपस्थिति जयपुर में बताई गई। यह न केवल निगम की कार्यप्रणाली के प्रति सवाल उठाता है, बल्कि इस पर भी प्रकाश डालता है कि कई कर्मचारी सिर्फ हाजिरी के लिए उपस्थित हो रहे हैं; लगभग 821 कर्मचारी अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद निजी कार्यों में लग जाते हैं। उदाहरण के लिए, वार्ड-10 का एक कर्मचारी आधे दिन अपने सैलून के काम में व्यस्त रहता है, जबकि उसकी उपस्थिति वार्ड में दर्ज की गई है। इस प्रकार के मामले जयपुर के अन्य वार्डों में भी देखने को मिलते हैं।
साफ-सफाई सेवाओं की बेहतरी के लिए उपाय सुझाते हुए साइबर वकील सुरेंद्र सिंह राठौड़ और एडवोकेट अनिल चौधरी ने बताया कि वास्तविक समय में श्रमिकों की मौजूदगी का पता मोबाइल लोकेशन के माध्यम से लगाया जा सकता है। मोबाइल कंपनियाँ अपने ग्राहकों को सशुल्क लोकेशन जानकारी प्रदान करती हैं, जिससे निगम यह निर्धारित कर सकता है कि श्रमिक कब और कहां उपस्थित हैं। इसके अलावा, निगम ने कर्मचारियों को सीयूजी प्लान के तहत मोबाइल नंबर भी प्रदान कर रखा है, जिससे उनकी स्थानीयता प्रमाणित की जा सकती है।
गांव में बैठे सफाई कर्मचारी भी देखा गया है, जहां कुछ कर्मचारी गांव से ही हाजिरी लगा रहे थे। रिपोर्टर द्वारा जब लोन के लालच के बारे में बातचीत की गई, तो एक कर्मचारी ने कहा कि वह अब गांव में है और वह जयपुर आकर ही बात करेगा। इसी प्रकार, अन्य कर्मचारियों द्वारा भी अप-डाउन की बात की जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सफाई व्यवस्था की स्थिति को सुधारने के लिए कई कदम उठाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, बामनपाड़ा के बनवारी लाल ने बताया वह गांव में दुकान चला रहा है और शादी के कारण घर पर ही है।
इन सभी घटनाओं ने ग्रेटर निगम की सफाई व्यवस्था की गंभीर समस्याओं को उजागर किया है, जिससे न केवल नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है बल्कि निगम की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। सफाई कर्मचारियों की उचित मॉनिटरिंग तथा वेतन और उपस्थिति की सच्चाई के प्रति पारदर्शिता से ही इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।