बजरंग पूनिया की हुंकार: किसानों के साथ, NSUI प्रमुख से मुलाकात में बीजेपी पर हमला!
हाल ही में चंडीगढ़ में किसान आंदोलन को लेकर एक महत्वपूर्ण प्रोटेस्ट का आयोजन किया गया, जिसमें पंजाब कांग्रेस के नेता शामिल हुए। इस प्रोटेस्ट के दौरान, पंजाब एनएसयूआई के अध्यक्ष ईशरप्रीत सिंह सिद्धू को चंडीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी को लेकर अब चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच, अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और प्रसिद्ध पहलवान बजरंग पूनिया, जिनका संबंध पटियाला जिले के राजपुरा से है, ने ईशरप्रीत से मिलने के लिए वहां का दौरा किया।
बजरंग पूनिया ने अपने बयान में स्पष्ट किया कि किसानों की लड़ाई सिर्फ एक क्षेत्र की नहीं, बल्कि पूरे देश की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) किसानों को आपस में बांटने का प्रयास कर रही है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे युवाओं की आवाज को दबाने में लगे हैं। पूनिया ने यह भी स्पष्ट किया कि वे हमेशा उन लोगों के साथ खड़े रहेंगे जो किसानों के अधिकारों के लिए आवाज उठाते हैं।
इसके अलावा, ईशरप्रीत सिंह सिद्धू ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार का इरादा किसानों की आवाज को पुलिस के बल पर दबाना है। उनका कहना था कि गृह मंत्रालय किसानों के हकों की रक्षा में बोलने वालों के खिलाफ यह कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने यह बताते हुए कहा कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने जो भूख हड़ताल शुरू की है, उसके समर्थन में बोलने वालों के खिलाफ कई तरह की कार्रवाई की जा रही है, जिसमें गिरफ्तारियां भी शामिल हैं।
ईशरप्रीत ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और कहा कि यह केवल एक पेशा नहीं, बल्कि उनका धर्म है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब का हर नागरिक किसी भी प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार है यदि उनके नेता डल्लेवाल के साथ कोई अप्रिय घटना होती है। उन्होंने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा कि इसका दोष पूरी तरह से केंद्र पर होगा।
इस प्रकार, यह प्रोटेस्ट न केवल किसानों के मुद्दे को उजागर कर रहा है, बल्कि यह सरकार की नीतियों और उनके द्वारा किसानों पर की जा रही दमनकारी कार्रवाइयों के खिलाफ एक मजबूत आवाज भी बना रहा है। किसान आंदोलन की यह घटना सभी को एकजुट करने के एक प्रयास के रूप में देखी जा रही है, जहां किसान संगठनों के नेता और समर्थन में बोलेने वाले लोग सरकार के खिलाफ सामूहिक रूप से खड़े हो रहे हैं। यह आंदोलन शक्ति और एकता की मिसाल पेश कर रहा है, जो आने वाले समय में किसानों के हक के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।