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उत्तराखंड में मदरसों की सर्वे कराएगी धामी सरकार, बाहरी फंडिंग पर कसेगी शिकंजा

उत्तराखंड में मदरसों की सर्वे कराएगी धामी सरकार, बाहरी फंडिंग पर कसेगी शिकंजा

– बिना मान्यता के चल रहे मदरसों पर नजर

देहरादून, 20 दिसंबर (हि.स.)। उत्तराखंड में मदरसों की बाहरी फंडिंग को लेकर जांच तेज हो गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पुलिस ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई शुरू कर दी है। इस सिलसिले में सभी जिलों में विशेष कमेटियां बनाई गई हैं, जो एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेंगी। कमेटियों द्वारा तैयार रिपोर्ट मुख्यमंत्री और संबंधित विभागों को सौंपी जाएगी। इसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। यह कदम प्रदेश की कानून व्यवस्था और सामाजिक संतुलन को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

दरअसल, प्रदेश में 400 से अधिक रजिस्टर्ड मदरसों के साथ ही कई अवैध मदरसों की भी जानकारी सामने आई है। इन मदरसों के संचालन और फंडिंग स्रोतों की गहराई से जांच की जा रही है। पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था उत्तराखंड (आईजी लॉ एंड ऑर्डर) नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि कुछ मदरसे बाहरी स्रोतों से फंडिंग प्राप्त कर रहे हैं, जिनका सत्यापन और जांच अनिवार्य है।

बाहरी छात्रों का सत्यापन अनिवार्य

जांच के दौरान विशेष ध्यान उन छात्रों पर दिया जा रहा है, जो बाहरी राज्यों से आकर उत्तराखंड के मदरसों में पढ़ाई कर रहे हैं। इनके सत्यापन और गतिविधियों की जांच को प्राथमिकता दी जा रही है।

संदिग्ध फंडिंग और अनियमितता पर सख्त कार्रवाई

शुरुआती इनपुट्स के आधार पर पुलिस ने संकेत दिया है कि कुछ मदरसे संदिग्ध स्रोतों से धन प्राप्त कर रहे हैं। यह धन कहां से आ रहा है और किस उद्देश्य से इस्तेमाल हो रहा है, इसका पता लगाया जा रहा है। यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जनता से सहयोग की अपील

आईजी भरणे ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस को दें। यह जांच पारदर्शी और निष्पक्ष होगी, ताकि प्रदेश में सामाजिक समरसता और कानून-व्यवस्था बनी रहे।

जांच का उद्देश्य पारदर्शिता और शांति सुनिश्चित करना

सरकार और प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस जांच का उद्देश्य केवल अनियमितताओं को रोकना है, न कि किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाना। मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि प्रदेश में सभी संस्थानों की पारदर्शिता और ईमानदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है।

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