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डेटा सुरक्षा के नए युग की शुरुआत! उत्तराखंड सचिवालय में नियर डिजास्टर रिकवरी साइट का शुभारंभ 

डेटा सुरक्षा के नए युग की शुरुआत! उत्तराखंड सचिवालय में नियर डिजास्टर रिकवरी साइट का शुभारंभ 

– नियर डीआर से अब हर चुनौती का पलक झपकते होगा समाधान

– राज्य में हाल ही में हुए साइबर हमलों के बाद क्रांतिकारी पहल

– आईटी सचिव बोले, प्रेरणादायक मॉडल बनेगी नियर डीआर साइट

देहरादून, 05 दिसंबर (हि.स.)। राज्य सरकार ने डेटा सुरक्षा काे मजबूत करते हुए सचिवालय स्थित डेटा सेंटर में गुरुवार काे नियर डिजास्टर रिकवरी साइट (नियर डीआर) का शुभारंभ किया। इसके तहत सरकारी सेवाओं और महत्वपूर्ण डेटा को किसी भी आपदा या तकनीकी समस्या के दौरान पूरी तरह सुरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है। यह क्रांतिकारी कदम न केवल साइबर हमलों के खतरों से निपटेगा, बल्कि तकनीकी समस्याओं के बावजूद सेवाओं को निर्बाध बनाए रखेगा।

आईटी एवं शहरी विकास सचिव नितीश झा ने इस परियोजना का उद्घाटन किया। उन्होंने इसे आईटी क्षेत्र में राज्य का एक साहसिक कदम बताया और कहा कि यह पहल डिजिटल क्रांति का एक नया अध्याय है, जहां हर बाधा का समाधान हमारे पास तैयार रहेगा। यह कदम हाल ही में हुए साइबर हमलों के बाद राज्य की महत्वपूर्ण वेब एप्लिकेशन्स और डेटा को सुरक्षित रखने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल मानी जा रही है। उद्घाटन समारोह में आईटीडीए निदेशक नितिका खंडेलवाल और राज्य सूचना अधिकारी आशेष अग्रवाल उपस्थित थे।

आधुनिक तकनीक का उत्कृष्ट उदाहरण

यह नियर डिजास्टर रिकवरी साइट एक पूर्णतः आधुनिक तकनीकी समाधान है, जो राज्य सरकार के डिजिटल ढांचे को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। यह पहल न केवल डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में राज्य को मजबूत करेगी, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणादायक मॉडल बनेगी। इस अवसर पर उपस्थित सभी अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इस नई व्यवस्था की सराहना की और इसे सरकार की डेटा सुरक्षा और डिजिटलीकरण के प्रयासों में मील का पत्थर बताया।

सुरक्षा और सतर्कता की ओर बड़ा कदम

नितीश झा ने कहा कि डिजिटल युग में डेटा हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है। नियर डिजास्टर रिकवरी साइट यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी तकनीकी बाधा, आपदा या साइबर हमले के दौरान हमारे डेटा और सेवाओं की निरंतरता बनी रहे। उन्होंने इस प्रयास को एक महत्वपूर्ण नवाचार बताते हुए इसे आईटी क्षेत्र में राज्य के अग्रणी कदमों में से एक करार दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि यह नई व्यवस्था न केवल डेटा को सुरक्षित रखने में मदद करेगी, बल्कि सेवाओं को कम से कम समय में पुनर्स्थापित करने की क्षमता भी प्रदान करेगी। इससे भविष्य में किसी भी आपदा की स्थिति में जनता को सरकारी सेवाओं में किसी भी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

आईटीडीए 20 करोड़ की लागत बचाई

आईटीडीए निदेशक नितिका खंडेलवाल ने बताया कि यह नियर डिजास्टर रिकवरी साइट सचिवालय स्थित स्वान पॉप में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके बनाई गई है। बाजार में ऐसी साइट तैयार करने की लागत लगभग 20 करोड़ रुपये है, लेकिन हमने इसे बिना अतिरिक्त खर्च के विकसित किया है। खंडेलवाल ने बताया कि साइट में डेटा सेंटर की महत्वपूर्ण एप्लिकेशन्स का छह महीने तक का बैकअप उपलब्ध रहेगा। यह बैकअप किसी भी संभावित तकनीकी समस्या के दौरान राज्य की सेवाओं को बिना रुकावट सुचारू बनाए रखने में सहायक होगा।

तकनीकी क्षमताओं और सीमित संसाधनों के बेहतर उपयोग का प्रमाण

इस परियोजना की सफलता के पीछे एनआईसी निदेशक अरुण शर्मा की अध्यक्षता में गठित एक विशेषज्ञ टीम का बड़ा योगदान है। इस टीम में शामिल विशेषज्ञों ने अपने अनुभव और तकनीकी कौशल का उपयोग करके इसे सफल बनाया। टीम के सदस्यों में मनवीर जोशी (एजीएम, आईटी और ई-गवर्नेंस, डीएससीएल), राम (प्रोजेक्ट मैनेजर, स्टेट डेटा सेंटर), नितीश सैनी (डेटाबेस विशेषज्ञ), विकास (नेटवर्क विशेषज्ञ) और गिरीश (बैकअप विशेषज्ञ) शामिल थे। अरुण शर्मा ने बताया कि टीम ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए इस परियोजना को रिकॉर्ड समय में पूरा किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना हमारी तकनीकी क्षमताओं और सीमित संसाधनों के बेहतर उपयोग का प्रमाण है।

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