झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में राज्य में पेसा कानून को जल्द लागू करने की उठी मांग
झारखंड की राजधानी रांची में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में राज्य में पेसा कानून को जल्द लागू करने की उठी मांग
रांची, 24 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय पेसा दिवस पर झारखंड के रांची स्थित होटल में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्धाटन केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए ग्राम प्रधानों ने एक स्वर से कहा कि झारखंड में जल्द से जल्द पेसा कानून लागू किया जाना चाहिए।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए विवेक भारद्वाज ने कहा कि पेसा अधिनियम जल, जंगल और जमीन के प्रबंधन में जनजातीय समुदायों को अधिकार और संरक्षण प्रदान करता है। उन्होंने झारखंड सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि झारखंड ने पेसा के विषय पर एक लोकगीत तैयार किया है, जो इसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है। विवेक भारद्वाज ने झारखंड के प्रधान सचिव को प्रस्ताव दिया कि 26 जनवरी को आयोजित ग्राम पंचायत बैठकों में प्रत्येक गांव की जनजातीय परंपराओं को सूचीबद्ध किया जाए। केंद्र सरकार इस प्रक्रिया में आवश्यक सहयोग प्रदान करेगी।
भारद्वाज ने यह सुझाव भी दिया कि 15 अगस्त को ग्राम सभाओं में इन परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाए और इसे मान्यता दी जाए। इस प्रयास से आने वाली पीढ़ियों को अपनी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं के महत्व से अवगत कराया जा सकेगा। उन्होंने झारखंड से इस पहल की शुरुआत करने का आह्वान किया और इसे बाद में अन्य राज्यों जैसे छत्तीसगढ़ में लागू करने की बात कही।
कार्यशाला में पेसा अधिनियम के प्रावधानों, इसके क्रियान्वयन में चुनौतियों और अनुसूचित क्षेत्रों में शासन को सशक्त बनाने पर विचार-विमर्श किया गया। प्रतिभागियों ने स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने और ग्राम सभाओं की भूमिका को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। वक्ताओं ने कहा कि पेसा कानून लागू नहीं होने के कारण गांवों में विकास नहीं हो पा रहा है। नियमावली तैयार होने के बावजूद इसे अमलीजामा अब तक नहीं पहनाया जा सका है। देश के 10 आदिवासी बहुल राज्यों में पेसा एक्ट लागू है। यह कानून 1996 में बना था। कानून बने 28 साल हो गए लेकिन झारखंड में इसे अब तक लागू नहीं किया जा सका है। इस कानून के लागू होने से बेरोजगारी और पलायन जैसी समस्याओं पर अंकुश लगता। राज्य के संसाधनों को भी बचाया जा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान पेसा अधिनियम की विशेषताओं पर केंद्रित एक लघु फिल्म और गीत प्रस्तुत किया गया। आदिवासी परंपराओं पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय समुदायों की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित किया गया। साथ ही पैनल चर्चाओं में पारंपरिक ग्राम सभाओं और पंचायत शासन के बीच समन्वय पर चर्चा की गई।
पंचायती राज मंत्रालय और झारखंड सरकार के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा अधिनियम) के प्रावधानों पर जागरुकता फैलाना था।
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