मोगा में फर्जी मामा-भांजी विवाह, निहंगों का हंगामा, एक महीने पहले भागी थी लड़की!
मोगा के लाल सिंह रोड पर स्थित संगतसर गुरुद्वारा साहिब में हाल में हुए एक मामले ने वहां हंगामा खड़ा कर दिया। यह घटना तब प्रकाश में आई जब एक महीने पहले घर से भागी एक लड़की का नकली विवाह प्रमाण पत्र बनाने का मामला सामने आया। इस लड़की के परिजनों ने जब यह नकली प्रमाण पत्र देखा, तो उन्होंने निहंग जत्थेबंदियों को इसकी सूचना दी। इसके बाद निहंग जत्थेबंदियों ने गुरुद्वारा साहिब पहुंचकर ग्रंथी से इस मामले में पूछताछ की। इस दौरान गुरुद्वारा के ग्रंथी ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए बताया कि उसने 2000 रुपए लेकर यह फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था।
लड़की की माता ने संदेश दिया कि उनकी बेटी एक महीने पहले बिना किसी सूचना के घर से चली गई थी। इसके बाद परिवार ने मेहना थाना पुलिस को सूचित किया, लेकिन पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होने पर परिवार ने अपनी बेटी को खोजने के लिए अन्य रास्ते अपनाए। जब परिवार को पता चला कि लड़की के मामा ने उसे कहीं छुपा रखा था, तब उनके पास से गुरुद्वारा साहिब का नकली विवाह प्रमाण पत्र मिला। इस स्थिति से चिंतित परिवार ने निहंग जत्थेबंदियों को इसकी जानकारी दी।
निहंग जत्थेबंदियों के आये हुए साक्षात्कार के दौरान ग्रंथी जरनैल सिंह ने खुद स्वीकार किया कि उसने पैसे लेकर फर्जी सर्टिफिकेट बनाया था। उसने कहा कि यह उसकी गलती थी और वह आगे से ऐसा नहीं करेगा। इस बारे में नूर खालसा फौज के हरदीप सिंह ने कहा कि उन्हें पहले भी जरनैल सिंह की शिकायतें मिली हैं और उसने उस समय भी माफी मांगी थी। हालिया शिकायत के बाद निहंग जत्थेबंदियों ने तय किया कि जरनैल सिंह की जानकारी की जांच की जाएगी, ताकि ऐसे लोगों द्वारा सिख धर्म की बेअदबी न हो।
गुरुद्वारा साहिब से श्री ग्रंथ साहिब को सुरक्षित स्थान पर भेजने के बाद निहंग जत्थेबंदियों ने यह सुनिश्चित किया कि ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जो गलत तरीके से पैसे लेकर लोगों का शोषण करता है, उसे सिख समुदाय के नियमों के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए। यह घटना सिख समुदाय के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने धर्म स्थानों को सुरक्षित रखें और ऐसे लोगों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों, जो धार्मिक भावनाओं का शोषण करने की कोशिश करते हैं।
इस प्रकार, इस मामले ने न केवल स्थानीय समुदाय को जागरूक किया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि धार्मिक स्थानों की गरिमा और सुरक्षा को बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है। सजग नागरिकता और आपसी सहयोग से ही हम ऐसे दुष्कर्मों से बच सकते हैं और अपने संस्कृति का सम्मान कर सकते हैं।