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‘इंडिया फॉर चिल्ड्रेन’ को मिला प्रतिष्ठित ‘द गोल्डन स्टार आइकॉन अवार्ड’

‘इंडिया फॉर चिल्ड्रेन’ को मिला प्रतिष्ठित ‘द गोल्डन स्टार आइकॉन अवार्ड’

बाल अधिकारों पर काम करने वाले देश के एकमात्र मीडिया एवं संचार संगठन को बच्चों के संरक्षण एवं सशक्तीकरण में योगदान के लिए मिला सम्मान

नई दिल्ली, 23 जनवरी (हि.स.)। बाल अधिकारों पर काम करने वाले देश के इकलौते मीडिया एवं संचार संगठन ‘इंडिया फॉर चिल्ड्रेन’ को बच्चों के संरक्षण एवं सशक्तीकरण में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘द गोल्डन स्टार आइकॉन अवार्ड-2024’ (टीजीएसआई) से सम्मानित किया गया है। ‘इंडिया फॉर चिल्ड्रेन’ का चयन एक प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल द्वारा किया गया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. अरिजीत पसायत, निर्णायक मंडल के सदस्य डॉ. जयदेव सारंगी, भारत सरकार के पूर्व सचिव तथा आईआईएम लखनऊ में सेंटर फॉर मार्केटिंग इन इमर्जिंग इकोनॉमीज के अध्यक्ष प्रोफेसर सत्य भूषण दाश शामिल थे। यह पुरस्कार गाजियाबाद के कौशांबी स्थित रेडिसन ब्लू होटल में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया गया।

बाल अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित और निरंतर उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए इंडिया फॉर चिल्ड्रेन’ को 9वें अतिरिक्त पुरस्कार में एक ट्रॉफी और उत्कृष्टता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। अवीवा कीन द्वारा स्थापित, गोल्डन स्टार आइकन अवार्ड्स (टीजीएसआई अवार्ड्स) दुनिया भर के संगठनों और पेशेवरों की उपलब्धियों और सकारात्मक प्रभाव को सम्मानित करके प्रतिष्ठित ब्रांडों, सेवाओं और व्यक्तियों को मान्यता देने के लिए दुनिया के प्रमुख प्लेटफार्मों में से एक के रूप में उभरा है, जिससे उन्हें वह सार्वजनिक मान्यता मिलती है जिसके वे हकदार हैं।

बाल अधिकारों पर काम करने वाले भारत के एकमात्र मीडिया एवं संचार संगठन को पुरस्कार मिलने पर इंडिया फॉर चिल्ड्रेन के निदेशक अनिल पांडेय ने कहा कि प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करना एक उपलब्धि है और इससे देश में प्रत्येक बच्चे के अधिकारों की वकालत करने में आशा की किरण के रूप में उभरने वाले संगठन की विश्वसनीयता स्थापित होती है। उन्होंने कहा, “मुख्यधारा की मीडिया में बाल अधिकारों के मुद्दों को प्रमुखता से लाने में हमारा मिशन सफल रहा है क्योंकि हम एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने में सक्षम रहे हैं जहां बाल संरक्षण अब डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कवरेज प्राथमिकता बन रहा है। हमारे प्रयासों के परिणाम मिले हैं क्योंकि देश में बच्चों से संबंधित मुद्दों को जगह देने के लिए मीडिया की धारणा में एक स्पष्ट बदलाव आया है।”

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