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जगराओं: किसानों का आक्रोश, डल्लेवाल की मौत के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार!

जगराओं में किसानों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है। यह आंदोलन भारतीय किसान यूनियन एकता डकौंदा की राज्य कमेटी के नेतृत्व में आयोजित किया गया। किसानों ने शहर में एक रोष मार्च निकाला, जिसके बाद वे एडीसी ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। किसानों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की नीतियों के तहत शंभू बॉर्डर पर उनकी स्थिति को गंभीरता से नजरअंदाज किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि फूलों की बारिश के बहाने किसानों पर विषाक्त गैस छोड़ी जा रही है, साथ ही पैदल चल रहे किसान जत्थे पर लाठियां भी चलाई जा रही हैं।

किसान नेता कमलजीत खन्ना और जगतार सिंह देहड़का ने उल्लेख किया कि सरकार का असली इरादा मंडियों को बंद करना है। वे बताते हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को समाप्त करके कॉरपोरेट्स के द्वारा स्थापित साइलो के जरिए अनाज की खरीद को बढ़ावा दे रही है। इस रणनीति से न केवल अनाज मंडियों को खत्म किया जा रहा है, बल्कि सरकार किसान से सस्ते दामों पर अनाज खरीदने की योजना बना रही है। इन तथ्यों को देखते हुए किसान नेताओं ने साफ-साफ कहा कि यह कदम सरकार की तरफ से एक सुनियोजित प्रयास है, जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों को सौंपना है।

किसान नेताओं ने विरोध प्रदर्शनों में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने काले कृषि कानूनों को लागू करने का रास्ता तैयार किया है, जो किसानों के हितों के खिलाफ है। इस प्रकार के कानूनों से केवल बड़े उद्योगपतियों को लाभ होगा, जबकि छोटे व मंझले किसानों की मेहनत और अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। ये हालात ऐसा समय पैदा कर रहे हैं, जहां किसान नेता डल्लेवाल को अपनी उचित मांगों को लेकर मरने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस संदर्भ में किसानों का मानना है कि सरकार का रवैया अत्यंत निराशाजनक और शोषणकारी है।

किसानों ने अपने प्रदर्शन के दौरान यह भी बताया कि उनके अधिकारों को लेकर आवाज उठाने वाले अनेक किसानों को दबाया जा रहा है। इस प्रकार के हमलों से किसानों के मनोबल पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनके संवैधानिक अधिकारों का सम्मान किया जाए और उन्हें उचित MSP प्रदान किया जाए। आने वाले समय में किसानों के इस आंदोलन में और भी तेजी आने की संभावना है, क्योंकि उन्होंने सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने का संकल्प लिया है।

किसानों का यह आंदोलन केवल जगराओं तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में इस प्रकार के प्रदर्शन हो रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि वे अंततः अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई जारी रखेंगे, जब तक कि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं। इस आंदोलन में जुटे किसानों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी ज़मीन और खेती के अधिकारों के लिए किसी भी कीमत पर संघर्ष करते रहेंगे।

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