मांगों को लेकर सडक़ों पर उतरे किसान, नई खेती नीति के ड्राफ्ट की प्रतियां फूंकी
मांगों को लेकर सडक़ों पर उतरे किसान, नई खेती नीति के ड्राफ्ट की प्रतियां फूंकी
फतेहाबाद, 23 दिसंबर (हि.स.)। एमएसपी सहित किसानों की अन्य मांगों को लेकर खनौरी बार्डर पर पिछले 28 दिनों से अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल के समर्थन और पंजाब व यूपी के किसानों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न किसान संगठनों से जुड़े किसानों द्वारा सोमवार को फतेहाबाद में उपायुक्त कार्यालय पर रोष प्रदर्शन किया गया। इस दौरान किसानों ने केन्द्र व हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को भेजे नई खेती नीति के ड्राफ्ट की प्रतियां जलाई। प्रदर्शन की अध्यक्ष्चता किसान सभा के जिला प्रधान विष्णुदत्त, भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां के जिला प्रधान निर्भय सिंह रतिया, भारतीय किसान यूनियन घासीराम नैन से लाभ सिंह व किसान नेता तजिन्द्र सिंह थिंद ने संयुक्त रूप से की। प्रदर्शन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा डीआरओ को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में मांग की गई कि सरकार किसान संगठनों के साथ बातचीत कर किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल की जान बचाएं। दिल्ली कूच करने वाले किसानों पर दमन बंद किया जाए। नोएडा-ग्रेटर नोएडा के सभी किसान लुक्सर जेल से रिहा हो, राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति को वापस ली जाए व सभी किसान संगठनों के साथ तत्काल चर्चा कर 9 दिसंबर, 2021 के पत्र में सहमति के अनुसार सभी लंबित मुद्दों का समाधान किया जाए। किसान नेताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली बार्डर पर किसानों द्वारा किए गए ऐतिहासिक संघर्ष के बाद 9 दिसम्बर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ समझौता किया था, जिसमें तीन कृषि अधिनियमों को निरस्त करने सहित अनेक मांगों को सरकार ने माना था लेकिन अब केन्द्र सरकार किसानों से किए गए समझौते से पीछे हट रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संघर्ष कर रहे किसान संगठनों के साथ चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है। किसान संगठनों से बातचीत की बजाय पंजाब के शंभू और खनौरी बार्डर और उत्तर प्रदेश के नोएडा-ग्रेटर नोएडा में आंदोलन कर रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां, पानी की बौछारों की जा रही है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन और धरना दे रहे सैंकड़ों किसानों को जेल में डालकर क्रूरता से आंदोलन को दबाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। नई राष्ट्रीय कृषि बाजार नीति, तीन कृषि कानूनों को पिछले दरवाजे से फिर से लागू करने की कॉर्पोरेट एजेंडे की रणनीति का हिस्सा है। किसान नेताओं ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में खाद्य सब्सिडी में 60,470 करोड़ रुपये और उर्वरक सब्सिडी में 62,445 करोड़ रुपये की कटौती देश की सीमित एमएसपी और खाद्य सुरक्षा की मौजूदा व्यवस्था पर कॉर्पोरेट हमले हैं।