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फरीदकोट: किसानों का रेलवे ट्रैक पर धरना, डल्लेवाल की हालत पर बढ़ी चिंता!

फरीदकोट जिले के किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा के गैर राजनीतिक आह्वान पर बुधवार को रेलवे स्टेशन पर ट्रैक पर धरना दिया। यह धरना करीब तीन घंटे तक चला, जिसमें किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उनका यह प्रदर्शन सरकार को चेतावनी देने के लिए था कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वे संघर्ष को और तेज करेंगे। किसान नेता लाल सिंह ने इस अवसर पर कहा कि किसानों की समस्याओं के प्रति केंद्र सरकार का रवैया चिंताजनक है, क्योंकि पंजाब हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला पिछले 23 दिनों से मरण व्रत पर हैं।

किसान नेता ने बताया कि डल्लेवाला की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, लेकिन इसके बावजूद सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है। लाल सिंह ने यह भी कहा कि दिल्ली मोर्चा खत्म करते समय केंद्र ने कई मांगों को स्वीकार किया था, लेकिन वे अभी तक लागू नहीं की गई हैं। यह स्पष्ट है कि किसानों का गुस्सा काबू से बाहर होता जा रहा है और यदि सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए, तो किसानों का आंदोलन और बढ़ सकता है।

धरने के दौरान, किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए कहा कि वे एमएसपी गारंटी कानून समेत अन्य लंबित मांगों के लिए निरंतर संघर्ष करेंगे। उनका मानना है कि सरकार के प्रतिनिधियों की गतिविधियों में कोई वास्तविकता नहीं है, जिसके कारण किसानों का भरोसा पूरी तरह टूट चुका है। प्रदर्शनकारियों ने एकजुट होकर यह संदेश दिया कि वे अपनी अधिकारों की लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे।

किसान नेता ने आगे कहा कि फरीदकोट रेलवे स्टेशन पर हुए इस धरने का उद्देश्य केवल अपनी मांगों को उठाना नहीं बल्कि अन्य किसानों को भी इस संघर्ष में शामिल करना है। उनकी उम्मीद है कि अन्य जिलों के किसान संगठनों का समर्थन भी उन्हें मिलेगा। किसान संगठनों का मानना है कि अगर उनकी आवाज को उचित ढंग से सुना नहीं जाता, तो वे अधिक बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू कर सकते हैं।

इस तरह के आंदोलनों के जरिए किसान संगठनों ने यह संकेत दिया है कि उन्हें अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतरने से डर नहीं है। उनका असली उद्देश्य सरकार के समक्ष अपनी समस्याओं को रखना और न्याय की मांग करना है। फिलहाल, यह उम्मीद की जा रही है कि सरकार द्वारा उचित कदम उठाए जाने से स्थिति में सुधार हो सकेगा, हालांकि प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांगों के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के संघर्ष करते रहेंगे।

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