देश के वन और वृक्ष संसाधनों पर रिपोर्ट कल होगी जारी
देश के वन और वृक्ष संसाधनों पर रिपोर्ट कल होगी जारी
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (हि.स.)।
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव शनिवार को फॉरेस्ट रीसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई), देहरादून में राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह और सचिव लीना नंदन की उपस्थिति में भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2023 जारी करेंगे। यह जानकारी शुक्रवार को केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने दी।
इस कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफएंडसीसी) और एमओईएफएंडसीसी संगठनों जैसे आईसीएफआरई, डब्ल्यूआईआई, आईजीएनएफए, एफआरआई, सीएएसएफओएस, आईआरओ, बीएसआई, जेडएसआई आदि के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। कार्यक्रम में आईजीएनएफए के आईएफएस परिवीक्षार्थी और सीएएसएफओएस के एसएफएस परिवीक्षार्थी भी शामिल होंगे।
भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा 1987 से द्विवार्षिक आधार पर “भारत वन स्थिति रिपोर्ट (आईएसएफआर)” प्रकाशित की जाती है।
यह रिपोर्ट देश के वन और वृक्ष संसाधनों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है, जो कि एफएसआई की दो प्रमुख गतिविधियों अर्थात वन आवरण मानचित्रण (एफसीएम) और राष्ट्रीय वन सूची (एनएफआई) पर आधारित है। एफएसआई 1987 से रिपोर्ट प्रकाशित कर रहा है और यह रिपोर्ट इस श्रृंखला की 18वीं ऐसी रिपोर्ट होगी। भारत राज्य वन रिपोर्ट 2023 के प्रकाशन में देरी हुई है जिसका कारण पहले की रिपोर्ट में शामिल 638 जिलों के बजाय 751 जिलों को रिपोर्ट में शामिल किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पिछले हफ्ते राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में देते हुए कहा था
भारत राज्य वन रिपोर्ट 2023 के प्रकाशन में देरी का कारण पहले की रिपोर्ट में शामिल 638 जिलों के बजाय 751 जिलों को रिपोर्ट में शामिल किया जाना है।
गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि के डायवर्जन के लिए वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 1980 के तहत केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी की जरूरत होती है। 01.04.2019 से 31.03.2024 की अवधि के दौरान मंत्रालय ने 95724.99 हेक्टेयर वन भूमि के विभिन्न गैर-वानिकी प्रयोजनों के लिए डायवर्जन की मंजूरी दी है।
प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम, 2016 के प्रावधानों के तहत, राष्ट्रीय प्राधिकरण ने वर्ष 2019 से 2024 तक राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तुत विभिन्न वार्षिक संचालन योजनाओं (एपीओ) के तहत प्रतिपूरक वनीकरण (सीए) लेने के लिए 252,000.44 हेक्टेयर क्षेत्र को मंजूरी दी है। इसमें बाग, बांस और ताड़ के पेड़ भी शामिल हैं।
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