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बठिंडा में किसानों का उग्र प्रदर्शन: केंद्र सरकार के खिलाफ उभरी गुस्साई आवाज!

पंजाब के बठिंडा में सोमवार को किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार रोष मार्च निकाला। इस प्रदर्शन में विभिन्न किसान जत्थेबंदियों के हजारों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि खनौरी और शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन को नजरअंदाज करते हुए, सरकार तीन विवादास्पद कानूनों को फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है। किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि वे किसी भी कीमत पर इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगे।

इस प्रदर्शन में कई प्रमुख किसान नेता शामिल थे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के झंडा सिंह जेठुके, भारती किसान यूनियन एकता डकौंडा के गुरदीप सिंह रामपुरा, कुल भारतीय किसान भारती किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष बलकरण सिंह बराड़, और अन्य नेता शामिल थे। किसानों ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले तीन वर्षों से केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुए समझौते को लागू नहीं किया गया है, जो कि 2020 में हुआ था। उनका कहना था कि मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपने की योजना बनाई है, जिससे किसानों का जीवन प्रभावित होगा।

किसान नेताओं का कहना है कि सरकार की नीतियों से बाजारों को खोलने का ड्राफ्ट भेजकर मार्केटिंग बोर्ड को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। इस संदर्भ में किसान जत्थेबंदियों ने आज बठिंडा में एक रोष मार्च का आयोजन किया। मार्च के बाद, किसानों ने डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से राष्ट्रपति को एक मांग पत्र भेजा, जिसमें यह अनुरोध किया गया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत कृषि विपणन नीति को रद्द किया जाए और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाए।

इस मार्च के दौरान, पंजाब खेत मजदूर सभा के जिला नेता मिट्ठू सिंह ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने किसानों की कठिनाइयों के बारे में बताया और सरकार से उचित समाधान की मांग की। इसके अलावा, महिला नेता हरिंदर कौर बिंदू और पीएसयू नेता बिक्रमजीत सिंह पोहला ने भी धरने को संबोधित किया और किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार से ठोस कार्रवाई की अपील की।

इस तरह से यह प्रदर्शनी केवल एक आंदोलन नहीं बल्कि किसान समुदाय के हक के लिए एक संघर्ष का प्रतीक बन गई है। जब तक किसान अपनी माँगों को पूरा करने में सफल नहीं हो जाते, तब तक वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे और अपने हक के लिए मजबूती से खड़े रहेंगे। पंजाब के किसान अब एकजुट होकर अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए तैयार हैं और उनकी मेहनत और संघर्ष की कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

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