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आम आदमी पार्टी की एंट्री के साथ अमृतसर मेयर रेस में नए चेहरे, कौन बनेगा मेयर?

अमृतसर का नगर निगम चुनाव 2023 की एक महत्वपूर्ण घटना बन गया है, क्योंकि यह पहला अवसर है जब सत्ता में होने के बाद भी किसी पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। आम आदमी पार्टी (आप) को लेकर पहले ही चर्चा थी कि वह आसानी से मेयर पद पर कब्जा कर लेगी। इस स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस और भाजपा के कई प्रमुख नेताओं ने चुनाव में भाग नहीं लिया, जिससे नए और अपरिचित चेहरों के लिए अवसर बढ़ा। अमृतसर के 85 वार्डों में से लगभग 60 ऐसे चेहरे हैं, जो इस बार नगर निगम में अपना पहला कदम रखेंगे। चुनावी परिणामों के मुताबिक, कांग्रेस को 85 में से 40 सीटें मिली हैं, जबकि मेयर पद के लिए उसे कम से कम 43 सीटों की आवश्यकता थी। कांग्रेस ने निर्दलीय जीतने वाले पार्षदों को अपने साथ लाकर मेयर बना सकती है।

इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भी अपनी महत्त्वपूर्ण पहचान बनाई है, जिससे वह 24 सीटें जीतने में सफल रही है और अब वह विपक्ष की भूमिका निभाएगी। भाजपा ने 9 और अकाली दल ने 4 सीटों पर सफलता प्राप्त की है। इसके अलावा, एक छोटे दल ने 8 सीटें जीती हैं। इस चुनाव में कांग्रेस की सफलता के पीछे कई कारण हैं, जिनमें मुख्यमंत्री भगवंत मान और प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा की रणनीतियों का न चलना भी शामिल है। दरअसल, अमन अरोड़ा ने चुनाव से पहले शहरवासियों को 5 गारंटी देने की कोशिश की, लेकिन जनता ने उनके वादों को सिरे से नकार दिया। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने प्रत्याशियों को समर्थन देने के लिए शहर में रोड शो किया, लेकिन इसके फिर भी पार्टी के लिए कोई चमत्कार नहीं हुआ।

अमृतसर में अब मेयर पद को लेकर रस्साकशी शुरू हो चुकी है। इस पद के लिए तीन प्रमुख उम्मीदवारों के नाम सामने आए हैं। पहले नाम ओम प्रकाश सोनी के भतीजे विकास सोनी का है, जिन्होंने तीन बार पार्षद चुनाव जीतने का अनुभव हासिल किया है। बाद में, राज कंवरप्रीत सिंह लक्की का नाम भी चर्चा में है, जिन्होंने चार बार पार्षद रहकर नगर निगम सदन में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी निभाई है। तीसरे उम्मीदवार के रूप में पप्पल परिवार का नाम है, लेकिन इस बार अरुण पप्पल खुद चुनाव लड़ने के बजाय अपनी पत्नी मंजू मेहरा पप्पल को मैदान में उतारने का निर्णय लिया है।

इस चुनावी परिदृश्य ने न केवल स्थानीय राजनीति को नया मोड़ दिया है, बल्कि यह पूरे पंजाब में राजनीतिक ध्रुवीकरण को भी दिखाता है। जहाँ एक ओर आम आदमी पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरों का सहारा लेने की बजाय नये चेहरों को मौका दिया है। इस प्रकार, अमृतसर का नगर निगम चुनाव कई नई संभावनाओं और राजनीति में बदलाव का प्रतीक बनकर उभरा है।

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